उत्तराखंड चमोली13 lakes in three districts of Uttarakhand on danger mark

उत्तराखंड के तीन जिलों में 13 झीलें खतरे के निशान पर, 5 झीलों पर लगेंगे वार्निंग सिस्टम

उत्तराखंड में चमोली, पिथौरागढ़ और टिहरी जिलों में 13 ताल खतरे की दृष्टि से अतिसंवेदनशील हैं। इनमें 5 झीलों से बाढ़ आने का सबसे ज्यादा जोखिम है..

5 lakes on Danger Mark: 13 lakes in three districts of Uttarakhand on danger mark
Image: 13 lakes in three districts of Uttarakhand on danger mark (Source: Social Media)

चमोली: उत्तराखंड की तेरह हिम झीलें, जिन्हें पहाड़ी बोली-भाषा में ताल कहा जाता है, खतरे में हैं। चमोली, पिथौरागढ़ और टिहरी जिलों में 13 ताल खतरे की दृष्टि से अतिसंवेदनशील हैं।

13 lakes in three districts on danger mark

उत्तराखंड की इन 13 झीलों में से अति संवेदनशील झीलें (A श्रेणी) में एक झील चमोली की और चार पिथौरागढ़ जिले की शामिल हैं। संवेदनशील झीलें (B श्रेणी) में भी एक झील चमोली और एक झील टिहरी गढ़वाल की और दो झीलें पिथौरागढ़ की शामिल हैं। राज्य की बाकी चार झीलें कम संवेदनशील झीलें (C श्रेणी) में हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय आपदा की दृष्टि से खतरनाक इन झीलों से होने वाली संभावित क्षति के न्यूनीकरण को लेकर सतर्क हो गया है। इन तेरह झीलों में से राज्य की पांच झीलों को जोखिम की दृष्टि से अति संवेदनशील श्रेणी में रखा है।

पांच तालों से सबसे अधिक जोखिम

आपदा प्रबंधन डिवीजन ने बैठक में कई तकनीकी संस्थानों के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए बताया कि देश के हिमालयी राज्यों में 188 हिमनद झीलें खतरे में हैं, जिनमें से 13 उत्तराखंड राज्य की हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग ने उत्तराखंड की इन 13 झीलों को रिस्क फैक्टर पर खतरे की दृष्टि से A, B, और C श्रेणियों में विभाजित किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय आपदा की दृष्टि से खतरनाक संभावित झीलों को ठीक करने के लिए सतर्कता से कार्य करेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग ने आने वाले समय में देश पर मंडराते हुए इस खतरे को देखते हुए इन झीलों की मरम्मत करने के निर्देश दिए हैं।

  • मई-जून में सर्वेक्षण, जुलाई-अगस्त में लगेंगे अर्ली वार्निंग सिस्टम

    Early Alarm System to be Installed
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    उत्तराखंड की पांच ए श्रेणी की अतिसंवेदनशील झीलों का जोखिम मूल्यांकन एवं सर्वेक्षण कार्य मई-जून महीने में किया जायेगा। सर्वेक्षण के पहले फेज में वैज्ञानिकों की टीम द्वारा सेटेलाइट डाटा एकत्रित किया जाएगा। उसके बाद बैथेमेट्री सर्वे किया जाएगा। फिर जुलाई-अगस्त महीने में इन झीलों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाए जाएंगे। साथ ही इन अतिसंवेदनशील झीलों में आपदा न्यूनीकरण के कार्य किए जाएंगे। केंद्रीय आपदा प्रबंधन डिवीजन ने हिमनद झीलों के विस्फोट से आने वाली बाढ़ नियंत्रण करने के लिए ऑनलाइन वर्चुअल बैठक की। आपदा प्रबंधन डिवीजन की वर्चुअल बैठक में उत्तराखंड से मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा भी शामिल हुए। बैठक में बताया गया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग ने वैज्ञानिकों की दो टीमें बनाई हैं। ये टीमें आपदा न्यूनीकरण की दिशा में काम कर जुलाई-अगस्त तक 5 झीलों पर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने का काम करेंगी