उत्तराखंड कोटद्वारRitu Khanduri and Anupama Rawat won the election in Uttarakhand

उत्तराखंड चुनाव की दिलचस्प तस्वीर, दो बेटियों ने पिता की हार का बदला लेकर रचा इतिहास

उत्तराखंड के सबसे अनुभवी नेताओं की बेटियों ने आखिरकार लिया अपने पिता की हार का बदला,अनुपमा रावत और ऋतु खंडूड़ी ने कर दिया कमाल

Ritu Khanduri and Anupama Rawat: Ritu Khanduri and Anupama Rawat won the election in Uttarakhand
Image: Ritu Khanduri and Anupama Rawat won the election in Uttarakhand (Source: Social Media)

कोटद्वार: उत्तराखंड कि राजनीति भी बड़ी निराली है। यहां पर दो सबसे अनुभवी नेता जहां बुरी तरह हार जाते हैं तो वहीं दूसरी ओर उनकी पुत्रियां इतिहास रच देती हैं। जी हां, उत्तराखंड के दो सबसे अनुभवी नेताओं की बेटियों ने आखिरकार अपने पिता की हार का बदला ले लिया और प्रचंड बहुमत से चुनाव में जीत हासिल की है। अब तक तो आप समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं।

Ritu Khanduri and Anupama Rawat won the election

हम बात कर रहे हैं हरीश रावत और भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटियों की जिन्होंने इस बार चुनावों में प्रचंड बहुमत से जीत हासिल कर पिता की हार का बदला लिया है। उन्होंने अपने सामने खड़े शक्तिशाली प्रत्याशियों को धूल चटा कर भारी मतों से विजय हासिल की है। जी हां, कांग्रेस के हरीश रावत और भाजपा के भुवन चंद्र खंडूड़ी की वर्तमान और पूर्व चुनावों में बुरी तरह हार के बाद उनकी बेटियों अनुपमा रावत और ऋतु खंडूड़ी दोनों ने अपने पिता की हार का बदला विधानसभा चुनावों में ले लिया है। आगे पढ़िए

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सबसे पहले बात करते हैं ऋतु खंडूड़ी की। आपको यह जानकर हैरानी होगी विधानसभा चुनाव 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन खंडूरी अपनी सीट से भारी मतों से हारे थे। उसके बाद से अब तक उत्तराखंड के किसी भी मुख्यमंत्री ने विधानसभा चुनाव में अपनी सीट जीतकर वापसी नहीं की है। बता दें कि 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी ने धुमाकोट सीट छोड़कर कोटद्वार सीट से चुनाव लड़ा था और वहां पर वह कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी से बुरी तरह हार गए थे। हालांकि 2017 में उनकी बेटी ऋतु खंडूड़ी ने यम्केश्वर सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा की सदस्यता हासिल की थी और अपने पिता के हार का बदला लिया था। इस बार के विधानसभा चुनावों में भी ऋतु खंडूड़ी ने प्रचंड जीत हासिल की है और अपने पिता की हार का बदला लिया है। आगे पढ़िए

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बात करते हैं हरदा की जो कि पिछले 2 सालों से बुरी तरह चुनावों में हार का मुंह देख रहे हैं। 2017 में भी मुख्यमंत्री हरीश रावत 2 सीटों से चुनाव हार गए थे। 2017 में हरीश रावत ने 2 सीटों से चुनाव लड़ा था औए दोनों सीटों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2017 में तत्कालीन विधायक स्वामी यतीश्वरानंद ने हरीश रावत को हरा कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2022 में हरीश रावत की सुपुत्री अनुपमा रावत मैदान में उतरीं और उनको उन्हीं के पिता के प्रतिद्वंदी रहे स्वामी यतीश्वरानंद के खिलाफ मैदान में उतारा गया। ऋतु खंडूड़ी की तरह अनुपमा रावत के पास चुनाव लड़ने का कोई भी अनुभव नहीं था। इसी के साथ ही उनके ऊपर अपने पिता की हार का बदला लेने का खासा दबाव भी था और उन्होंने बदला लिया और ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उन्होंने कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद को हराकर अपनी जीत का परचम लहरा दिया है।