चमोली: हिमालय की गोद में बसे बदरीनाथ धाम में इन दिनों प्रकृति की अद्भुत कलाकारी दिख रही है। बदरीधाम के चारों तरफ सिर्फ बर्फ ही बर्फ है। बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हैं। माना जाता है कि शीतकाल में बदरीधाम में देवतागण भगवान विष्णु की पूजा करने आते हैं। इन दिनों बदरीनाथ में जैसे विहंगम नजारे दिख रहे हैं, उसे देखकर ये बात सच ही लगती है। शीतकाल में यहां पर सिर्फ सैन्य बलों के जवान ही नजर आते हैं, पर इस बार धाम में 30 से ज्यादा लोग रह रहे हैं। इन लोगों ने शीतकाल में बदरीधाम में निवास के लिए अनुमति ली हुई है। बदरीधाम में रहने वाले लोगों में 20 से अधिक साधु-संत हैं। जो कि प्रकृति और भगवान नारायण के सानिध्य में रहकर तप कर रहे हैं। बदरीनाथ के कपाट बंद होने के बाद यहां साध्वी ललिता माई भी अपने शिष्यों के साथ तपस्या कर रही थीं।
ये भी पढ़ें:
वो बदरीनाथ धाम से पैदल वापस लौट आई हैं। ललिता माई ने बताया कि इस वक्त बदरीनाथ धाम से हनुमानचट्टी के बीच दस फीट से ज्यादा बर्फ जमी है। बदरीनाथ धाम में ललिता माई का आश्रम है, जहां वो नवंबर से साधनारत थीं। बदरीनाथ से हनुमानचट्टी तक पहुंचने के लिए उन्होंने 11 किलोमीटर का पैदल सफर किया। बाद में हनुमानचट्टी से जोशीमठ पहुंची। जोशीमठ के एसडीएम अनिल कुमार चन्याल ने बताया कि साध्वी ललिता माई प्रशासन की अनुमति से बदरीनाथ धाम में साधनारत थीं। उनके वहां होने की सूचना प्रशासन को मिली थी। साध्वी ललिता माई के अलावा अब भी कई साधु-संत बदरीधाम में तप कर रहे हैं।